सावधान ! दूर हटो … आप आ रही है।
अपूर्व सक्सेना - जयपुर
ये जुमला मेरा नहीं बल्कि उन दिग्गजों का है, जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक छोटी सी क्रांति की चिंगारी इतना बड़ा रूप ले लेगी कि, अब उन्हें अपना वर्चस्व भी खतरे में दिखाई देता हुआ पड़ता है। हर घर, गली कोने, नुक्कड़, दुकानो, ऑफिस, ट्रेन, बस, हवाई जहाज, समाचार पत्र, न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पोर्टल्स और इस देश के लोगो के मूंह पर सिर्फ एक ही नाम "आप" का गूँज रहा है।
स्रोत : http://economydecoded.com/ |
इसकी बानगी कुछ ये है :-
राहुल गांधी - कांग्रेस - "मेरे ख्याल से आम आदमी पार्टी ने लोगों को जोड़ा है जो हम जैसी पारम्परिक पार्टीयां लोगों को नहीं जोड़ सकी। हमे इससे सीखना होगा"।
आनंद महिंद्रा - उद्योगपति - "आप की धमाकेदार एंट्री दिखाती है कि हम किस तरह एक आदर्शवादी है पर कुटील नहीं और सच्चाई ही सबसे बढ़िया नीति नहीं, वरन राजनीति भी है"।
ओमर अब्दुल्लाह - मुख्य मंत्री, जम्मू - कश्मीर - "२०१४ के लिए हमारी सबसे बड़ी सीख जिसे हमें लिख लेना चाहिए और वे है कि राजनीति में किसी कमज़ोर और नए व्यक्ति को कमतर नहीं आँकना चाहिए"।
कपिल सिब्बल - कांग्रेस - " दिल्ली में आपके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई @ अरविन्द केजरीवाल और @ आम आदमी पार्टी। आपको शुभकामनाएं।
चन्दन मित्रा - बी जे पी - " मैं मानता हूँ कि मैं निराश हूँ, मुझे आशा थी कि हम दिल्ली को बड़ी आसानी से जीत लेंगे, पर मुझे ये आशा नहीं थी कि एक नया आदमी बिना किसी एजेंडे के इतना बढ़िया कर सकता है"।
सुशील कुमार मोदी - बी जे पी - "सलाम अरविन्द केजरीवाल, नमो कि तरह उसने भी इस देश की राजनीति की राह बदल दी है, बहुत कुछ सीखने को है इस तरह की राजनीति से"।
अन्ना हज़ारे - गांधीवादी एक्टिविस्ट - "एक दिन वो (केजरीवाल) अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं की ताकत से मुख्य मंत्री बन जाएगा"।
निर्मला सीतारमन - बी जे पी - " आप की बहुत ही तगड़ी शुरुआत, पर पता नहीं कि ये आगामी आम चुनाव तक रहेगी कि नहीं। हम आप को तोडना नहीं चाहते और न ही उनके किसी उम्मीदवार को लेना चाहते हैं"।
विजय गोयल - बी जे पी - "हमने आप को हमेशा एक प्रतिद्वंद्धी की तरह देखा और इन्हे दो अंकों तक पहुँचते हुए देख रहे थे पर इन्होने जो किया वो काफी आश्चर्यजनक है"।
चेतन भगत - लेखक - जियो @ अरविन्द केजरीवाल। क्या सबक सिखाया है। ज़िन्दगी भर याद रखेंगे"।
डॉ। हर्ष वर्धन - बी जे पी - मुख्य मंत्री उम्मीदवार - "मैं केजरीवाल और उनकी पार्टी को उम्मीद के उलट उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूँ"।
दिग्विजय सिंह - कांग्रेस - मेरे विचार से ये लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत है, एक पार्टी जो की साल भी पुरानी नहीं है, उसने अपने लिए जगह बनाई है"।
उद्धव ठाकरे - मुख्या - शिव सेना - "केजरीवाल नाम के एक नौजवान ने बड़ी ही बहादुरी से कांग्रेस और नरेंद्र मोदी की मजबूत चुनौती को सफलतापूर्वक लड़ा है। ये ( आप ) चुनौती सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि ये चुनौती देश की सभी राजनीतिक पार्टीयों के लिए है"।
राहुल गांधी - कांग्रेस - "मेरे ख्याल से आम आदमी पार्टी ने लोगों को जोड़ा है जो हम जैसी पारम्परिक पार्टीयां लोगों को नहीं जोड़ सकी। हमे इससे सीखना होगा"।
आनंद महिंद्रा - उद्योगपति - "आप की धमाकेदार एंट्री दिखाती है कि हम किस तरह एक आदर्शवादी है पर कुटील नहीं और सच्चाई ही सबसे बढ़िया नीति नहीं, वरन राजनीति भी है"।
ओमर अब्दुल्लाह - मुख्य मंत्री, जम्मू - कश्मीर - "२०१४ के लिए हमारी सबसे बड़ी सीख जिसे हमें लिख लेना चाहिए और वे है कि राजनीति में किसी कमज़ोर और नए व्यक्ति को कमतर नहीं आँकना चाहिए"।
कपिल सिब्बल - कांग्रेस - " दिल्ली में आपके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई @ अरविन्द केजरीवाल और @ आम आदमी पार्टी। आपको शुभकामनाएं।
चन्दन मित्रा - बी जे पी - " मैं मानता हूँ कि मैं निराश हूँ, मुझे आशा थी कि हम दिल्ली को बड़ी आसानी से जीत लेंगे, पर मुझे ये आशा नहीं थी कि एक नया आदमी बिना किसी एजेंडे के इतना बढ़िया कर सकता है"।
सुशील कुमार मोदी - बी जे पी - "सलाम अरविन्द केजरीवाल, नमो कि तरह उसने भी इस देश की राजनीति की राह बदल दी है, बहुत कुछ सीखने को है इस तरह की राजनीति से"।
अन्ना हज़ारे - गांधीवादी एक्टिविस्ट - "एक दिन वो (केजरीवाल) अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं की ताकत से मुख्य मंत्री बन जाएगा"।
निर्मला सीतारमन - बी जे पी - " आप की बहुत ही तगड़ी शुरुआत, पर पता नहीं कि ये आगामी आम चुनाव तक रहेगी कि नहीं। हम आप को तोडना नहीं चाहते और न ही उनके किसी उम्मीदवार को लेना चाहते हैं"।
विजय गोयल - बी जे पी - "हमने आप को हमेशा एक प्रतिद्वंद्धी की तरह देखा और इन्हे दो अंकों तक पहुँचते हुए देख रहे थे पर इन्होने जो किया वो काफी आश्चर्यजनक है"।
चेतन भगत - लेखक - जियो @ अरविन्द केजरीवाल। क्या सबक सिखाया है। ज़िन्दगी भर याद रखेंगे"।
डॉ। हर्ष वर्धन - बी जे पी - मुख्य मंत्री उम्मीदवार - "मैं केजरीवाल और उनकी पार्टी को उम्मीद के उलट उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूँ"।
दिग्विजय सिंह - कांग्रेस - मेरे विचार से ये लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत है, एक पार्टी जो की साल भी पुरानी नहीं है, उसने अपने लिए जगह बनाई है"।
उद्धव ठाकरे - मुख्या - शिव सेना - "केजरीवाल नाम के एक नौजवान ने बड़ी ही बहादुरी से कांग्रेस और नरेंद्र मोदी की मजबूत चुनौती को सफलतापूर्वक लड़ा है। ये ( आप ) चुनौती सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि ये चुनौती देश की सभी राजनीतिक पार्टीयों के लिए है"।
स्रोत : http://arvindkejriwal.co.in/aam-aadmi-party-election-symbol/ |
मेरे ख्याल से "आप" का सम्बोधन इस देश में इतनी बार कभी नहीं हुआ होगा कि जितना की चुनाव के नतीजों के बाद। आखिर ऐसा क्या हो गया कि अचानक, तेरह महीनो पुरानी एक अदनी सी पार्टी इतना बड़ा उलटफेर कर दे, ऐसी कौन सी जादू की छड़ी "आप" के पास आ गयी जिसने लोगों की नब्ज़ को टटोल लिया पर बड़े बड़े दिग्गज जनता की नब्ज़ को नहीं टटोल पाये।
इसका जवाब हम सभी के पास है पर हम उसे कहने या पहचानने से कतरा रहे है और वो है, अपने देश के प्रती ईमानदारी के भाव से देश और देशवासियों के लिए राजनीति करना, पर राजनीति के क्षेत्र के दिग्गज कर रहे है इसका उल्टा। आज इन राजनीतिज्ञों के मायनो में राजनीति - लूट पाट, हिंसा, दंगे, हत्या, फ़िरौती, भ्रष्टाचार, वित्तीय घोटाले, बिचौलिये, अवैध कमाई, कमज़ोर वर्ग का शोषण, हठीलापन, पद का अहंकार आदि बन गए हैं।
और जब इस देश की जनता इन टुच्चे लोगो को यह करते हुए देखती है तो वह भी टुच्चेपन पे उतारू हो जाती है।
ज़रा सोचिये जो पार्टीयां जोड़ तोड़ की राजनीति में अपने कई गुल खिला चुकी हो आज वही पार्टीयां नैतिकता की ज़मीन पर अपने को पदस्थ कर रही है, किसी भी उम्मीदवार का कोई मोल भाव नहीं हो रहा, नहीं तो क्या चार सीटें भाजपा के लिए जुटाना कोई बडा मुश्किल वाला काम है ? ऐसा क्यूँ हो पा रहा है कभी सोचा है आपने ? प्रशन जितना सीधा उसका उत्तर उतना ही आसान। इन दिनों में जिस तरह की राजनीति आप ने कर के दिखाई है उससे न सिर्फ देश की जनता बल्कि राजनीति के धुरंधरों ने भी बड़ी बारीकी से देखा, समझा और परखा है। "आप" ने जिस पारदर्शिता से अपने चुनाव के लिए खर्च की सीमा रखी और फिर पार्टी के चंदे का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर दिया है ऐसा किस राजनीतिक पार्टीयों ने अभी तक कर के दिखाया है, ये ज़रा सोचने की बात है।
करीब एक साल पहले का मुझे एक वाक्या याद आ रहा है, जब मैंने "आप" के जयपुर पदाधिकारियों से "आप" को बनाने के पीछे की रणनीति के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि "आप" राजनीति करने का अपना स्तर इतना ऊंचा रखेगी की दूसरी बड़ी स्थापित राजनीतिक पार्टियों को न चाहकर भी अपने स्तर को "आप" के स्तर तक पहुँचाना होगा वर्ना ये जनता की नज़र से उतर जायेंगे, और देखिये इसकी झलक हमें साफ़ दिखाई देने लगी है, ये हमारे लोकतंत्र के लिए एक बड़े परिवर्तन का संकेत है, जो हमारे देश और देश की जनता के उज्ज्वल भविष्य के लिए हितकारी होगा।
"आप" के राजनीति में पदार्पण करने से एक नयी सोच सामने आ रही है, इस देश की जनता जागरूक होती हुई नज़र आ रही है, लोगों का विश्वास "आप" के तरह की राजनीती में बढ़ता जा रहा है, आम आदमी एक नया सूरज उग गया है जिसकी किरणे हमारे अंतर मन में एक नयी रोशनी पैदा कर रही है अचानक लोग बदले बदले से नज़र आने लगे है पर ये तो सिर्फ एक आगाज़ है उस आने वाले कल के भारत, के नव निर्माण का।
"आप" के राजनीति में पदार्पण करने से एक नयी सोच सामने आ रही है, इस देश की जनता जागरूक होती हुई नज़र आ रही है, लोगों का विश्वास "आप" के तरह की राजनीती में बढ़ता जा रहा है, आम आदमी एक नया सूरज उग गया है जिसकी किरणे हमारे अंतर मन में एक नयी रोशनी पैदा कर रही है अचानक लोग बदले बदले से नज़र आने लगे है पर ये तो सिर्फ एक आगाज़ है उस आने वाले कल के भारत, के नव निर्माण का।